पीपल का महत्व पेड़ पौधों की दुनिया सीरीज़ में आपका स्वागत है। भारत में पूजे जाने वाले वृक्षों में से एक बहुत ही महत्वपूर्ण वृक्ष है पीपल। ये ऐसा वृक्ष है जिसका उल्लेख हमारे साहित्यिक ग्रंथों और पौराणिक कथाओं में कई बार हुआ है और इसके साथ ही प्रेतकथाओं में भी इसकी चर्चा होती है। इसे बोधिवृक्ष,अश्वत्थ एवं गुह्यपुष्पक के नाम से भी जाना जाता है। फ़िकस रेलीगीऑस इसका वैज्ञानिक नाम है । यह न केवल दिन में बल्कि रात में भी आक्सिजन ही देता है, इसी वजह से यह अन्य वृक्षों से भिन्न है । यह भारतीय उप महाद्वीप के अलावा चीनी प्रदेश का वृक्ष है । इसकी उपस्थिति 30 डिग्री उत्तर से 5 डिग्री दक्षिणी अक्षांशों के बीच और धरातल से लगभग 10 मीटर से 1500 मीटर की ऊंचाई तक देखी जा सकती है । ये उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन, मॉनसून वर्षा वन, सवाना और शीतोष्ण प्रदेशों में पाया जाता है जहां की मासिक वर्षा 6 से 10 सेंटीमीटर तक होती है और साल के दो या तीन शुष्क महीने भी होते हैं जब वर्षा नहीं होती। ये भारत, बांग्लादेश , पाकिस्तान, नेपाल, चीन, इंडोनेशिया और श्रीलंका आदि देशों में पाया जाता है। इसके अलावा इसे अन्य महाद्वीपों
वर्षों तक भूगोल का अध्ययन एवं अध्यापन करने के परिणामस्वरूप प्रकृति के प्रति मेरा रुझान बढ़ा है । इसी के तहत, मुझे पृथ्वी के लिए अपनी जिम्मेदारी का एहसास भी होता है । इस ब्लॉग का मूल ध्येय आज की पीढ़ी में प्राकृतिक वातावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। मेरा यही प्रयास रहा है कि यहाँ लिखा गया हर लेख स्पष्ट और प्रासंगिक हो। यहाँ पर विचारों को इस तरह से प्रस्तुत किया गया है कि पाठक हर लेख के पीछे निहित उद्देश्य को सरलता से समझ सकें और जीवन में अपनाने का प्रयास कर सकें।