पेड़-पौधों की दुनिया अमलतास सुन्दर पीले फूलों से लदे ये हरे-भरे पेड़ भारत के हर शहर और हर गाँव में दिखते हैं। कभी उन फूलों का चटक पीला रंग चिलचिलाती धूप में भी मुस्कुराकर हमें भयंकर गर्मी के मौसम की चेतावनी देता है और कभी उनका कोमल जीवंत रंग हमारी आंखों को सुकून पहुंचाता है। अब आपने अनुमान लगा लिया होगा कि मैं इंडियन लबर्नम के बारे में बात कर रही हूं। जी हाँ, जिसे हम हिंदी में अमलतास कहते हैं मैं उसी के फूलों की बात कर रही थी। साल के इस समय पर जब सर्दियों का मौसम अपना पैर पसार चुका है ऐसे में अमलतास के बारे में बात करना भले ही थोड़ा अटपटा लगे परन्तु मैं आज इस पेड़ के बारे में बात करने पर ज़ोर दूंगी क्योंकि मुझे सर्दियाँ रास नहीं आती। ऐसा बिलकुल नही है कि मुझे ग्रीष्मकाल बहुत पसंद है। लेकिन फिर भी मैं सर्दियों की सुबह मन मारकर घर का काम करने की बजाय गर्मियों में पसीना बहाना ज़्यादा पसंद करती हूँ। और कुछ संभव हो न हो पर मैं कम से कम अपने विचारों में ग्रीष्म ऋतू को जीवित रखना चाहती हूँ। चलिए अब मुद्दे पर आते हैं। मैं आपके साथ इंडियन लैबर्नम के बारे में कुछ जानकारी साझा करूँगी जो मैंने
वर्षों तक भूगोल का अध्ययन एवं अध्यापन करने के परिणामस्वरूप प्रकृति के प्रति मेरा रुझान बढ़ा है । इसी के तहत, मुझे पृथ्वी के लिए अपनी जिम्मेदारी का एहसास भी होता है । इस ब्लॉग का मूल ध्येय आज की पीढ़ी में प्राकृतिक वातावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। मेरा यही प्रयास रहा है कि यहाँ लिखा गया हर लेख स्पष्ट और प्रासंगिक हो। यहाँ पर विचारों को इस तरह से प्रस्तुत किया गया है कि पाठक हर लेख के पीछे निहित उद्देश्य को सरलता से समझ सकें और जीवन में अपनाने का प्रयास कर सकें।