पेड़- पौधों की दुनिया हरसिंगार (शिउली) ज़रा सोचकर बताईये तो चंपा, चमेली, जूही, रजनीगंधा और हरसिंगार के फूलों में क्या समानता है ? शायद आप ने कहा कि रंग ! जी हाँ, इन सभी फूलों का रंग सफ़ेद है। निर्मल, शुद्ध और उजला श्वेत रंग जो हर तरह की मिलावट से दूर है। और कोई बात जो इनमें मिलती जुलती हो ? जी हाँ, इन फूलों की मंत्र मुग्ध कर देने वाली सुगंध। ऐसा शायद ही कभी किसी के साथ हुआ हो कि उन्होंने ये छोटे- छोटे मन मोह लेने वाले सफ़ेद फूलों से लदे वृक्षों अथवा पौधों को न देखा हो क्यूंकि उनकी सुंदरता को एकबार के लिए नज़रअंदाज़ कर भी दें परन्तु इन फूलों की बेहद आकर्षक खुशबू से कोई नहीं बच सकता। इनकी सुगंध अनायास ही सबको अपनी तरफ आकर्षित करती है। इनमें से ही जिसके बारे में आज मैंने लिखने का मन बनाया है वो है हरसिंगार। शुरू करने से पहले एक बात पूछती चलूँ और अगर इसके बारे में आपकी राय भी पता चल जाये तो बहुत बढ़िया रहेगा ! दरअसल ये एक सवाल है, क्या ये कहना सही है कि किताबों, कहानियों, गानों और कविताओं का हमारी सोच, जिज्ञासा और विचारधारा पर बहुत असर पड़ता है ? मेरे हिसाब से तो इसका जवाब हाँ होना चाहि
वर्षों तक भूगोल का अध्ययन एवं अध्यापन करने के परिणामस्वरूप प्रकृति के प्रति मेरा रुझान बढ़ा है । इसी के तहत, मुझे पृथ्वी के लिए अपनी जिम्मेदारी का एहसास भी होता है । इस ब्लॉग का मूल ध्येय आज की पीढ़ी में प्राकृतिक वातावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। मेरा यही प्रयास रहा है कि यहाँ लिखा गया हर लेख स्पष्ट और प्रासंगिक हो। यहाँ पर विचारों को इस तरह से प्रस्तुत किया गया है कि पाठक हर लेख के पीछे निहित उद्देश्य को सरलता से समझ सकें और जीवन में अपनाने का प्रयास कर सकें।