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अप्रैल, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

द पर्ल ऑफ़ द ओरिएंट सी- फिलीपीन्स

देश और दुनिया  फिलीपीन्स- द पर्ल ऑफ़ द ओरिएंट सी यानि पूर्वी समुद्र का मोती    विश्व के कई देश द्वीपों के समूह से बने हुए हैं। छोटे छोटे द्वीपों के संकलन से बने ये देश भले ही क्षेत्र फल में ज़्यादा नहीं हैं परन्तु इनकी आर्थिक विकास की दर बड़े बड़े देशों से भी कहीं आगे है। कितनी हैरान कर देने वाली बात है ये परन्तु सच है! उदाहरण के तौर पर जब हम जापान, इंडोनेशिया, सिंगापुर, मलेशिया आदि कई एशियाई देशों के आर्थिक विकास की दर को इनसे कई गुना बड़े देश जैसे पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल से तुलना करके देखते हैं तो हम यह अंतर साफ़ तौर पर देख सकते हैं। यह इस बात को सिद्ध करता है कि किसी  देश का प्रगतिशील होना इस बात पर निर्भर नहीं करता कि वह आकार में कितना बड़ा है अपितु इस पर निर्भर करता है कि वहां के नागरिकों ने अपने देश के संसाधनों को किस तरह से अपने और अपने देश की उन्नत्ति के लिए सटीक ढंग से इस्तेमाल किया है। आज मैं देश और दुनिया में एक ऐसे देश के बारे में बताने जा रही हूँ जो छोटा होने के बावजूद भी उन्नत देशों की श्रेणी में आता है। परन्तु मैं उसकी आर्थिक दशा अथवा उससे जुड़ी बात पर टिप्पणी नहीं करूंगी।

अर्थ डे- आज का दिन

आज का दिन  अर्थ डे अथवा पृथ्वी दिवस  हर वर्ष २२ अप्रैल का दिन आम दिनों से कुछ अलग होता है। कहने को तो कुछ अलग सा होने की बात है नहीं क्यूंकि जिस कारणवश इसे अगल करते हैं वह हमारे नित्य प्रतिदिन का हिस्सा होना चाहिए। फिर भी हमने २२ अप्रैल को अर्थ डे यानि पृथ्वी दिवस मनाने के लिए समर्पित किया हुआ है। तो आज पृथ्वी दिवस के उपलक्ष पर इस विशेष दिन से जुड़े कुछ तथ्य यहाँ प्रस्तुत किए जा रहे हैं जिनकी जानकारी हम सभी को होनी ही चाहिए।  इतिहास के पन्नों में झाँकने से हमे ज्ञात होगा कि इस दिन को मनाने की शुरुआत कितनी सोची समझी योजनाबद्ध तरीके से हुई थी। जिसका श्रेय एक व्यक्ति की दूरदर्शिता को जाता है। १९७० में इस दिन को मनाने के लिए उस समय की अमेरिका की परिस्थिति बिलकुल अनुकूल थी। उस समय अमेरिका में वायु प्रदूषण की वजह से आम जनता पहले से ही कुछ करने का सोच रही थी। १९६९ में कैलिफ़ोर्निया के तेल रिसाव की दुर्घटना से लोग सड़कों पर उतर आये थे और वहां आंदोलनों का दौर चल रहा था।  ठीक उसी समय सेनेटर नेल्सन गेलॉर्ड, जो कि पर्यावरण के गिरते स्तर के प्रति जनता जो जागरूक करने के लिए कुछ करने का सोच रहे थे, उन्ह

अशोक के पेड़

पेड़-पौधों की दुनिया  अशोक के पेड़  अगर मैं आपसे कहूँ कि जिस पेड़ को आपने बचपन से अशोक के पेड़ के नाम से जाना हो वह दरअसल अशोक का पेड़ है ही नहीं, तो आप चौंक जायेंगे, है न ? क्यूंकि मै भी चौंक गयी थी जब मेरे साथ यह घटित हुआ। एक लंबा सा पेड़ जिसे मैंने अक्सर बाग़ बगीचों में, सड़क के किनारों पे और रिहायशी इलाकों में आम तौर पर देखा है और अशोक के पेड़ के रूप में जाना है, हाल ही में पता चला है कि वो तो अशोक का पेड़ है ही नही ! यदि आप सही अशोक के पेड़ को पहचानते हैं और उसे दूसरे पेड़ से फर्क कर सकते हैं तो मैं यही कहूँगी कि आपकी जानकारी सराहने योग्य है! मुझे तो अभी पता चला कि उत्तर भारत में जिस लंबे छरहरे वृक्ष को हम अक्सर देखते हैं और उसे अशोक के पेड़ के रूप में ही जानते हैं वह तो  फाल्स अशोक का पेड़ है। तो चलिए आज आपके लिए नहीं, यूँ कहूँ कि अपने जैसे अनभिज्ञ लोगों के लिए मैं दोनों ही अशोक के पेड़ों की जानकारी पेश करूंगी और आशा रखूंगी की आप इस जानकारी को जितना हो सके आगे तक पहुंचाएंगे।   मैं दोनों वृक्षों का विवरण साथ साथ दूँगी जिससे कि हम दोनों के अंतर को आसानी से समझ सकें। असली अशोक का पेड़ जिसे सराका अ