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द पर्ल ऑफ़ द ओरिएंट सी- फिलीपीन्स

देश और दुनिया  फिलीपीन्स- द पर्ल ऑफ़ द ओरिएंट सी यानि पूर्वी समुद्र का मोती    विश्व के कई देश द्वीपों के समूह से बने हुए हैं। छोटे छोटे द्वीपों के संकलन से बने ये देश भले ही क्षेत्र फल में ज़्यादा नहीं हैं परन्तु इनकी आर्थिक विकास की दर बड़े बड़े देशों से भी कहीं आगे है। कितनी हैरान कर देने वाली बात है ये परन्तु सच है! उदाहरण के तौर पर जब हम जापान, इंडोनेशिया, सिंगापुर, मलेशिया आदि कई एशियाई देशों के आर्थिक विकास की दर को इनसे कई गुना बड़े देश जैसे पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल से तुलना करके देखते हैं तो हम यह अंतर साफ़ तौर पर देख सकते हैं। यह इस बात को सिद्ध करता है कि किसी  देश का प्रगतिशील होना इस बात पर निर्भर नहीं करता कि वह आकार में कितना बड़ा है अपितु इस पर निर्भर करता है कि वहां के नागरिकों ने अपने देश के संसाधनों को किस तरह से अपने और अपने देश की उन्नत्ति के लिए सटीक ढंग से इस्तेमाल किया है। आज मैं देश और दुनिया में एक ऐसे देश के बारे में बताने जा रही हूँ जो छोटा होने के बावजूद भी उन्नत देशों की श्रेणी में आता है। परन्तु मैं उसकी आर्थिक दशा अथवा उससे जुड़ी बात पर टिप्पणी नहीं करूंगी।

फ़िनलैंड - क्यों झीलों का देश ?

देश और दुनिया  फ़िनलैंड-  झीलों का देश  नॉर्वे के बाद एक और यूरोपीय देश की जानकारी आपके सामने प्रस्तुत करने जा रही हूँ। भरोसा रखिये कि 'देश और दुनिया' की इस श्रृंखला में विश्व के लगभग सभी देश जो किसी न किसी प्रकार से दूसरे देशों से भिन्न हैं अथवा अपनी किसी विशेषता की  वजह से अलग पहचान  रखते हैं  उनके बारे में पढ़ने को ज़रूर मिलेगा। परन्तु इसके लिए आपको भी मेरे साथ इस ब्लॉग से जुड़े रहने का वादा  करना होगा ! रहेंगे न? तो आज की चर्चा के लिए जो देश चुना गया है वो है फ़िनलैंड, जो नॉर्वे का पड़ोसी देश है। यहाँ की ख़ास बात है यहाँ पर पायी जाने वाली असंख्य झीलें जिसकी वजह से इसे हज़ार झीलों का देश कहा जाता है। तो आखिर ये झीलों का देश क्यों कहलाता हैं,  चलिए उसके बारे में जान लेते हैं।  हमारी पृथ्वी अपनी उत्पत्ति से लेकर अब तक कई भौगोलिक प्रक्रियाओं से गुज़र चुकी है जिनमें से एक प्रमुख घटना है हिमयुग। ये वह समय था जब पूरी पृथ्वी का तापमान शून्य से नीचे गिर गया था और सारी पृथ्वी को बर्फ के आवरण ने ढक लिया था।  वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी पर दो बार ऐसा हो चुका है। यदि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से

ऑस्ट्रेलिया में नया साल

देश और दुनिया  ऑस्ट्रेलिया- नया साल ग्रीष्म ऋतु में पूरे विश्व में बहुत कम ही ऐसे देश हैं जो नए साल का स्वागत गर्मियों के मौसम में करते हैं। आगे बढ़ने से पहले आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि पृथ्वी के ७१ % भाग में जल है और सिर्फ २९ % भाग पर ही स्थल है। उसमें से भी सभी  बड़े महाद्वीप उत्तरी गोलार्ध में स्थित हैं जहाँ पर ४० % हिस्से में स्थल है और ६० % हिस्से में जल यानि कि महासागर हैं। दूसरी ओर दक्षिणी गोलार्ध के मात्र २० % हिस्से में स्थल है जिसमें दक्षिणी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और अंटार्टिका केवल तीन महाद्वीप हैं और केवल  ३२ देश ही स्थित हैं। इन देशों की संख्या इस प्रकार से है - अफ्रीका के लगभग बीस, एशिया के दो, दक्षिणी अमेरिका के लगभग नौ और पूरा का पूरा ऑस्ट्रेलिया इसमे शामिल हैं। अब इनमें से आज हम बात करेंगे ऑस्ट्रेलिया की जो ग्रीष्म ऋतु में नया साल मनाता है। परन्तु कैसे ? ये जानने के लिए अंत तक ज़रूर पढ़ें।  ऑस्ट्रेलिया एक ऐसा देश है जो कि अपने आप में पूरा का पूरा महाद्वीप है। एकमात्र ऐसा देश जो कि पूरे महाद्वीप में फैला हुआ है। यहाँ एक और जानकारी दे दूँ, वो ये कि ऑस्ट्रेलिया भारत से दुगन

नॉर्वे का सूर्यास्त

देश और दुनिया  नॉर्वे, जहाँ सूर्यास्त नहीं होता ! कितनी अद्भुत बात है कि हमारी पृथ्वी पर जहाँ लगभग हर जगह दिन और रात का होना प्रतिदिन की प्रक्रिया है वहीं पृथ्वी के ही किसी एक भाग में कुछ ऐसे देशों का समूह है जहाँ साल के आधे समय में केवल दिन और आधे समय में केवल रात रहती है। ज़रा सोच कर देखिये कैसे वहां रहने वाले लोग दिन में ही रात की तरह सो जाते हैं और रात में काम के लिए निकलते हैं! कैसे उन्होंने अपनी दिनचर्या को प्रकृति के हिसाब से ढाला हुआ है जो इस बात का संकेत देती है कि मनुष्य किसी भी परिस्थिति के अनुसार ढल सकता है। इसे भूगोल की भाषा में मानव का प्रकृतिकरण कहते हैं। चलिए आज हम एक ऐसे देश के बारे में जानने का प्रयास करते हैं जहाँ हमारे देश की तरह हर रोज़ दिन-रात नहीं होते। जी हाँ, नॉर्वे एक ऐसा ही देश है! आज मैं नॉर्वे के बारे में चर्चा करूंगी जिसे हम अंग्रेज़ी में 'लैंड ऑफ़ द मिडनाइट सन' कहते हैं। आखिर उसे ऐसा क्यों कहते हैं ? चलिए जानते हैं ....  हम इसको भूगोल की दृष्टि से समझने का प्रयास करेंगे। यहाँ हमें दो बातें याद रखनी हैं - पहली बात है पृथ्वी का अक्षीय झुकाव और दूसरी बात

जापान का सूर्योदय

देश और दुनिया  सूर्योदय का देश  जापान    क्या आप जानते हैं कि  जापान को सूर्योदय का देश क्यों कहा जाता है ? चलिए इस बारे में चर्चा करते हैं। तो सबसे पहले बता दूँ कि इसका राज़ जापान के नाम में ही छिपा है। जी हाँ, जिस देश को हम जापान कहते हैं उसका आधिकारिक या जापानी नाम है निप्पॉन या निहों। आइये जानते है कि इस शब्द का अर्थ क्या है ? निप्पॉन शब्द दो जापानी शब्दों के मेल से बना है, पहला शब्द है 'नीची' जिसका अर्थ है सूरज अथवा दिन। दूसरा शब्द है, होण जिसका अर्थ है उद्भव या उगना। इन दोनों शब्दों के मेल से बने शब्द निप्पॉन का अर्थ है, सूरज का उगना या जहाँ से सूरज उगता है। अब इस देश को सम्बोधित करने के लिए आखिर इस नाम का चुनाव क्यों किया गया है ? इतिहास की मानें तो ऐसा कहा जाता है कि जापान को यह नाम चीन ने दिया था। प्राचीन चीनी मान्यता के अनुसार जापान वहां स्थित था जहाँ से चीनी लोगों को सूर्योदय दिखता था।   परन्तु यदि हम भौगोलिक दृष्टिकोण से निप्पॉन के नामकरण की चर्चा करें, तो हम पाएंगे कि इस नाम की सटीकता में कोई दो राय नहीं है। भूगोल शास्त्र के अनुसार किसी देश की भौगोलिक स्थिति जानने

बांग्लादेश की नदियाँ

देश और दुनिया   नदियों का देश : बांग्लादेश    आपको यह जानकर हैरानी होगी कि बांग्लादेश भले ही एक छोटा सा देश है जो केवल 1,48,460 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है परन्तु वहां पर दुनिया की सर्वाधिक नदियां बहती हैं। अर्थात वहां ज़मीन का बहुत सारा हिस्सा नदियों से ढका हुआ है। वैसे तो इस देश में कुल मिलकर कितनी नदियां है इस बात पर विशेषज्ञों में मतभेद है। जैसे, हाल में किये गए सर्वेक्षण के अनुसार कुछ का मानना है कि वहां 310 नदियां बहती हैं। दूसरी ओर अन्य विशेषज्ञों के अनुसार वहां 405 नदियां बहती हैं। यदि इतिहास को टटोला जाये तो वहां पर 700 से अधिक नदियों के बहने का उल्लेख किया गया है। नदियों की कुल संख्या को लेकर जो एक और बात गौर करने वाली है वह यह कि कहीं पर एक ही नदी के अलग-अलग जगह पर अलग-अलग नाम हैं और उसकी गिनती अलग-अलग नदी के रूप में ही की गयी है। मतलब कि नदियों की कुल संख्या की सूची में एक ही नदी अलग-अलग नाम से कई बार शामिल हुई है। संख्या चाहे जो भी हो 300, 400 या फिर 700, उस देश के क्षेत्रफ़ल के हिसाब से तो बहुत ज्यादा है। परन्तु दुःख की बात यह है कि बदलते समय के साथ इनमें से कई नदियों