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पेड़-पौधों की दुनिया : स्प्रूस


पेड़- पौधों की दुनिया 
स्प्रूस 

जब हर तरफ क्रिसमस का माहौल हो मेरे हिसाब से तभी क्रिसमस के पेड़ के बारे में बात करने के लिए बहतरीन समय है। आज आप लोगों से निवेदन है कि क्रिसमस की सजावट के लिए इस्तेमाल होने वाले बहुत लोकप्रिय पेड़ों में से एक का संक्षिप्त विवरण प्राप्त करने के लिए यहां बने रहें। आपने देखा होगा कि क्रिसमस की सजावट के लिए अक्सर स्प्रूस, पाइन या देवदार का पौधा चुना जाता है। उन्ही में से आज हम स्प्रूस पर चर्चा करने वाले  हैं। स्प्रूस, एक ऐसा पेड़ जो त्रिकोण आकार का होता है।
आइए सबसे पहले इस पेड़ से संबंधित कुछ बुनियादी बातें जान लेते हैं। यह खूबसूरत पेड़ समशीतोष्ण प्रकार की वनस्पति की श्रेणी में आता है। यह वनस्पतियां उन क्षेत्रों में उगती हैं, जहाँ सर्दियों में बर्फबारी होती है और गर्मियों का मौसम हल्की गर्मी वाला होता है। इन जगहों पर मध्यम से कम वर्षा होती है। इन क्षेत्रों में यह शंकुधारी वृक्ष पाए जाते हैं जो अपने आकार की वजह से बर्फ के आवरण को आसानी से नीचे गिरा देते हैं। यहाँ पर सूरज की लम्बी किरणें पड़ती हैं जिसकी वजह से ये पेड़ सूरज की रौशनी पाने के लिए एक दूसरे के साथ होड़ में जुट जाते हैं  और परिणामस्वरूप एक दूसरे से लम्बे होते चले जाते हैं। इन पेड़ों की ऊंचाई 20-60 मीटर के बीच कुछ भी हो सकती है। ये पेड़ जब बहुत छोटा होता है तब बहुत आकर्षक लगता है जिसकी वजह से इसे सजावट के लिए इस्तेमाल किया जाता है। एक अन्य उल्लेखनीय विशेषता है इसकी सुई के आकार की पत्तियां। यह आकार इसे नमी को बनाए रखने में सक्षम बनाता है जिसकी उन क्षेत्रों में अत्यधिक कमी है जहां यह पनपता है। हमारी पृथ्वी पर कुछ वनस्पतियों में विशेष तौर पर सुई के आकार की पत्तियां होती हैं और वे एक साथ पिन के एक गुच्छे की तरह दिखती हैं। उन पत्तियों पर एक मोम जैसी परत भी होती है जो इनमें से भाप को आसानी से निकलने नहीं देती और इनको झड़ने से बचाती है। इस तरह की बनावट होने की वजह से ये पत्ते कम वर्षा और पानी के बावजूद भी हरे भरे रहते हैं। प्रकृति द्वारा निर्धारित इन पत्तियों की आंतरिक संरचना कितनी असाधारण है। हमारी पृथ्वी ऐसी ही न जाने कितनी आश्चर्य चकित कर देने वाली चीज़ों से भरी पड़ी है। प्रकृति सच में बहुत अद्भुत है! इसके अलावा इस पेड़ पर विशेष आकार का पाइन फल लगता है जिसे उसकी बनावट की वजह से दूसरे पाइन फलों से आसानी से पहचान सकते हैं। 

ऐसा मन जाता है कि स्प्रूस पृथ्वी पर पाए जाने वाले वृक्षों में सबसे ज्यादा समय तक जीवित रहने वाले वृक्षों में से एक है। आज भी दुनिया के एक कोने में एक स्प्रूस का पेड़ 9565 साल पुराना है। चलिए अब थोड़ी चर्चा इस पेड़ के नामकरण के बारे में भी कर लेते हैं। इस पेड़ को स्प्रूस नाम अपने मूल स्थान से मिला है जो है पर्शिया। यद्यपि इस सिद्धांत को सिद्ध करने के लिए तथ्य न के बराबर उपलब्ध हैं, फिर भी इस संबंध में किसी अन्य सिद्धांत को प्रमाणित करने के लिए भी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। इसलिए हम मानते हैं कि यह पर्शिया का ही है। अगर हम इसके वितरण पर एक नज़र डालें तो दुनिया के लगभग सभी हिस्सों में ये पाया जाता है और इसकी 35 प्रजातियां उपलब्ध हैं। इस सूची में यूरोप, उत्तरी अमेरिका, मध्य अमेरिका और एशिया के कई देश शामिल हैं। इसकी लकड़ी की गुणवत्ता का कोई मुकबला नहीं है।  यह उत्तम प्रकार की लकड़ी प्रदान करता है। अन्य कई समशीतोष्ण क्षेत्रों में पाए जाने वाले वृक्षों की तरह यह भी पेपर पल्प बनाने के लिए श्रेष्ठ  है। इसके अलावा भोजन के रूप में इसके फल का प्रयोग होता है, वाद्य यन्त्र बनाने के लिए इस्तेमाल होता है, इसके कुछ हिस्सों को औषधि एवं तेल बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। 

इस पूरे लेख को स्प्रूस पर केंद्रित करने के पीछे जो कारण है अब उस तथ्य की तरफ चलते हैं। हर साल इतने जोश के साथ हम घर पर कृत्रिम क्रिसमस ट्री लाते हैं और उसे सजाते हैं और क्रिसमस के बाद उसे फ़ेंक देते हैं। क्यों न इस बार कुछ अलग करें ? एक प्लास्टिक की क्रिसमस ट्री न लाकर एक असली प्राकृतिक स्प्रूस का पौधा घर में लाएं, उसे न केवल क्रिसमस पर सजाएं-सवारें बल्कि आगे भी उसकी देखभाल करें और पालपोस कर बड़ा करें। हो सकता है कि इस तरह वृक्षों का पोषण कर हम कुछ हद तक पृथ्वी के हम पर किये उपकार का बदला चुका पाएं क्यूंकि पृथ्वी हमसे कभी कुछ नहीं मांगेगी पर समय आने पर हमारे ग़लत क़दमों का हिसाब बराबर कर लेगी। मुझे विश्वास है कि प्रकृति के संरक्षण की तरफ उठाया गया हमारा ये छोटा कदम आगे जाकर मील का पत्थर साबित होगा। 




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