इस साल,लॉक डाउन की वजह से,अपने आस-पास के नैसर्गिक सौंदर्य को देखने का जो अवसर मिला है ये शायद उसी का परिणाम है कि बचपन की बहुत सारी यादें ताज़ा हो गई हैं। ऐसी ही यादों से जुड़ा एक गाना अनायास ही दिमाग में चलने लगता है जब भी मैं अपने घर की बालकनी से दिखने वाले बगीचे में लगे फूलों से भरे एक विशेष पेड़ को देखती हूँ। वो गाना है, 'गुलमोहार गर तुम्हारा नाम होता ,मौसम -ए -गुल को हँसाना भी हमारा काम होता.....' हम सभी ने, जो उम्र के तीस-चालिस दशक पार कर चुके हैं, बचपन में ये गाना ज़रूर सुना या गुनगुनाया होगा। आज का ये लेख इसी गाने से प्रेरित है। इस गाने की वजह से ही मेरी पहचान इस वृक्ष से हुई थी।
आजकल के बच्चों के साथ, दो दशकों तक, बहुत करीब से समय बिताने के बाद मैंने पाया कि जिस तरह हमारे परिवार के सदस्यों ने और हमारे समाज ने हमें बचपन में हमारी प्रकृति से पहचान करवाई थी वैसा हम अपने बच्चों के साथ नहीं कर पाए हैं।आजकल के बच्चे तकनीक से जुड़ी हर चीज़ को हमसे बहुत बेहतर ढंग से समझते हैं। वे एक कृत्रिम दुनिया में ही जीना पसंद करते हैं। यह बहुत दुःख की बात है कि वे अपने आस-पास पाए जाए वाले आम और सामान्य वृक्षों को भी नहीं पहचानते हैं। इसलिए मैंने आज का दिन गुलमोहर पर ज्ञान देने के लिए समर्पित किया है।
तो इस लेख में मैं गुलमोहर से जुड़ी कुछ रोचक और ज्ञानवर्धक बातें बताऊँगी और आशा करुँगी कि आप न केवल स्वयं इसे पढ़ेंगे बल्कि अपने बच्चों के साथ भी इसमें दी गयी जानकारी को साझा करेंगे। तो सबसे पहले ये जान लेते हैं कि इस पेड़ को अंग्रेजी में रॉयल पोस्निआ या फ्लेम ट्री कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम है, डालोनिक्स रेगिअ । हमारे देश में इसे मे फ्लावर ट्री, गुलमोहर, कृष्णचूड़ा या राधाचूड़ा कहा जाता। यह मूलतः मेडगास्कर का वृक्ष है जहाँ की जलवायु शुष्क एवम ऊष्ण-पर्णपाती है। परन्तु इसकी कई प्रजातियां विश्व के कई हिस्सों में देखी जा सकती हैं जहाँ की जलवायु ऊष्ण-कटिबंधीय अथवा उप ऊष्ण-कटिबंधीय है। औसतन इस पेड़ की ऊंचाई ५ से १२ मीटर तक होती है। इस वृक्ष के पत्ते फ़र्न के पत्तों की तरह होते हैं और इसके फूल बहुत ही आकर्षक होते हैं। इसके फूलों में चार पंखुड़ियां बाहर की तरफ फैली हुई होती हैं और बीच में एक बड़ी पंखुड़ी होती है। इसके फूलों का रंग लाल और नारंगी या केसरिया होता है। परन्तु कहीं कहीं पर इनको पीले रंग में भी देखा जाता है। ये बहुत घना और छायादार वृक्ष होता है। यह पतझड़ के मौसम में लघु समय के लिए बिना पत्तों के दिखता है और कुछ ही हफ़्तों में दोबारा हरा-भरा हो जाता है। यह वियतनाम एवं कॉमन वेल्थ ऑफ़ नॉर्थेर्न मरियाना आइलैंड का राष्ट्र वृक्ष है। अपने सौंदर्य और मौसम की मार झेल पाने की वजह से यह भारतीय शहरों में उगाया जाने वाला एक प्रमुख वृक्ष है। यह पेड़ केवल सुन्दर ही नहीं अपितु गुणों की खान भी है। इसमें कई औषद्धिय गुण हैं।
हो सकता है कि इस छोटी सी जानकारी से आपके बच्चों को इस पेड़ की पहचान करने में मदद मिले और अगली बार जब वे बाहर से खेल कर आएं तो आपको बताएं कि उन्होंने गुलमोहर का पेड़ देखा और उसे पहचान लिया। तब मेरा यह लेख लिखना सार्थक हो जायेगा।
जाड़े का मौसम दस्तक देने लगा है जिसकी वजह से आजकल ये खूबसूरत फूल दिख नहीं रहें हैं। पर फिर से मौसम बदलते ही ये पेड़ सुन्दर लाल- नारंगी फूलों से अलंकृत हो जायेगा और मेरा मन फिर से गुनगुनाने लगेगा-
'गुलमोहार गर तुम्हारा नाम होता ,मौसम -ए -गुल को हँसाना भी हमारा काम होता.....'
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Amazing post👍🥀
जवाब देंहटाएंThank you
हटाएंThis is a very nice article. We all miss those days. And this generation is truly living an artificial life. I write articles similar to your idiology. Check it out
जवाब देंहटाएंhttps://nisargadhwani.com/the-paper-boat-series-1/
Thank you Monisha. It feels great when you find someone who thinks like you. Hope to bond well. Will definitely read your articles.
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