सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

नॉर्वे का सूर्यास्त

देश और दुनिया  नॉर्वे, जहाँ सूर्यास्त नहीं होता ! कितनी अद्भुत बात है कि हमारी पृथ्वी पर जहाँ लगभग हर जगह दिन और रात का होना प्रतिदिन की प्रक्रिया है वहीं पृथ्वी के ही किसी एक भाग में कुछ ऐसे देशों का समूह है जहाँ साल के आधे समय में केवल दिन और आधे समय में केवल रात रहती है। ज़रा सोच कर देखिये कैसे वहां रहने वाले लोग दिन में ही रात की तरह सो जाते हैं और रात में काम के लिए निकलते हैं! कैसे उन्होंने अपनी दिनचर्या को प्रकृति के हिसाब से ढाला हुआ है जो इस बात का संकेत देती है कि मनुष्य किसी भी परिस्थिति के अनुसार ढल सकता है। इसे भूगोल की भाषा में मानव का प्रकृतिकरण कहते हैं। चलिए आज हम एक ऐसे देश के बारे में जानने का प्रयास करते हैं जहाँ हमारे देश की तरह हर रोज़ दिन-रात नहीं होते। जी हाँ, नॉर्वे एक ऐसा ही देश है! आज मैं नॉर्वे के बारे में चर्चा करूंगी जिसे हम अंग्रेज़ी में 'लैंड ऑफ़ द मिडनाइट सन' कहते हैं। आखिर उसे ऐसा क्यों कहते हैं ? चलिए जानते हैं ....  हम इसको भूगोल की दृष्टि से समझने का प्रयास करेंगे। यहाँ हमें दो बातें याद रखनी हैं - पहली बात है पृथ्वी का अक्षीय झुकाव और दूसरी बात

पेड़-पौधों की दुनिया: पलाश

पेड़-पौधों की दुनिया  पलाश  हिंदी भाषा में प्रयोग होने वाला एक बहुत ही प्रचलित मुहावरा है 'ढाक के तीन पात'। जब मैं एक विद्यार्थी थी मैंने कई बार अपने शिक्षकों को इस मुहावरे का प्रयोग करते हुए सुना था। परन्तु सच मानिये, भले ही मुझे मुहावरे का अर्थ याद हो गया था मगर यह जानने की उत्सुकता हमेशा से थी कि आखिर ये ढाक है क्या? तभी से मेरी खोज शुरू हुई। समझ लीजिये कि इस  लेख की प्रेरणा वहीं से मिली। ढाक की खोज करते हुए मैंने न केवल ये जाना कि  ढाक असल में एक पेड़ का नाम है बल्कि यह भी जाना कि यह वृक्ष कितनी खूबियों से भरा है। इस मुहावरे की उत्पत्ति इस पेड़ के पत्तों की इस विशेषता से हुई है कि वे तीन के समूह में उगते हैं और इसके इस गुण में कभी कोई परिवर्तन नहीं होता। तो जब किसी व्यक्ति या परिस्तिथि में हमें कोई बदलाव नहीं दिखता है तो हम कहते है ," फिर वही ढाक के तीन पात "। खैर में इस मुहावरे का विश्लेषण न करते हुए मुद्दे पर आती हूँ। तो आज का मेरा लेख  ढाक के वृक्ष पर केंद्रित है जहाँ मैं इस वृक्ष से जुड़ी कुछ भौगोलिक बातें बताउंगी। पहली बार मैंने इस वृक्ष को छात्रावस्था में ही देख

पेड़-पौधों की दुनिया : स्प्रूस

पेड़- पौधों की दुनिया  स्प्रूस   जब हर तरफ क्रिसमस का माहौल हो मेरे हिसाब से तभी क्रिसमस के पेड़ के बारे में बात करने के लिए बहतरीन समय है। आज आप लोगों से निवेदन है कि क्रिसमस की सजावट के लिए इस्तेमाल होने वाले बहुत लोकप्रिय पेड़ों में से एक का संक्षिप्त विवरण प्राप्त करने के लिए यहां बने रहें। आपने देखा होगा कि क्रिसमस की सजावट के लिए अक्सर स्प्रूस, पाइन या देवदार का पौधा चुना जाता है। उन्ही में से आज हम स्प्रूस पर चर्चा करने वाले  हैं। स्प्रूस, एक ऐसा पेड़ जो त्रिकोण आकार का होता है। आइए सबसे पहले इस पेड़ से संबंधित कुछ बुनियादी बातें जान लेते हैं। यह खूबसूरत पेड़ समशीतोष्ण प्रकार की वनस्पति की श्रेणी में आता है। यह वनस्पतियां उन क्षेत्रों में उगती हैं, जहाँ सर्दियों में बर्फबारी होती है और गर्मियों का मौसम हल्की गर्मी वाला होता है। इन जगहों पर मध्यम से कम वर्षा होती है। इन क्षेत्रों में यह शंकुधारी वृक्ष पाए जाते हैं जो अपने आकार की वजह से बर्फ के आवरण को आसानी से नीचे गिरा देते हैं। यहाँ पर सूरज की लम्बी किरणें पड़ती हैं जिसकी वजह से ये पेड़ सूरज की रौशनी पाने के लिए एक दूसरे के साथ ह

टॉलेमी

भूगोल शास्त्री - टॉलेमी  (c. 100 CE - c. 170 CE) टॉलेमी को न केवल एक महान गणितज्ञ और ज्योतिषी के रूप में जाना जाता है बल्कि उन्हें एक भूगोलवेत्ता के रूप में भी माना जाता है। उन्होंने कई ग्रंथ लिखे हैं जिसकी वजह से उन्हें अपने युग के महान दार्शनिक के रूप में स्थापित किया जा सकता है। यहाँ हम उनकी चर्चा एक भूगोलवेत्ता के रूप में करेंगे। वैसे तो उन्होंने कई विषयों में उल्लेखनीय किताबें लिखी हैं परन्तु उनमें से तीन में उन्हें बहुत प्रशंसा और पहचान मिली है और उन तीन में से एक भूगोल विषय पर है। इसे लैटिन भाषा में जियोग्राफिया और कोस्मोग्राफिया के रूप में जाना जाता है। यह पुस्तक दूसरी शताब्दी के रोमन साम्राज्य के भौगोलिक ज्ञान का संकलन है। भूगोल के क्षेत्र में उनके कुछ योगदान: उन्होंने स्थान को नामित करने के लिए निर्देशांक का इस्तेमाल किया और पृथ्वी के भू-गर्भ मॉडल को प्रस्तुत किया। उन्होंने भूमध्य रेखा के संदर्भ में ग्लोब पर अक्षांशों के अंकन का उपयोग शुरू किया, जिसका आज तक पालन किया जाता है। उन्होंने नक्शे बनाने की तकनीकों का वर्णन किया। हालाँकि उन्होंने कहा था कि दुनिया का अस्तित्व या मनुष्

जापान का सूर्योदय

देश और दुनिया  सूर्योदय का देश  जापान    क्या आप जानते हैं कि  जापान को सूर्योदय का देश क्यों कहा जाता है ? चलिए इस बारे में चर्चा करते हैं। तो सबसे पहले बता दूँ कि इसका राज़ जापान के नाम में ही छिपा है। जी हाँ, जिस देश को हम जापान कहते हैं उसका आधिकारिक या जापानी नाम है निप्पॉन या निहों। आइये जानते है कि इस शब्द का अर्थ क्या है ? निप्पॉन शब्द दो जापानी शब्दों के मेल से बना है, पहला शब्द है 'नीची' जिसका अर्थ है सूरज अथवा दिन। दूसरा शब्द है, होण जिसका अर्थ है उद्भव या उगना। इन दोनों शब्दों के मेल से बने शब्द निप्पॉन का अर्थ है, सूरज का उगना या जहाँ से सूरज उगता है। अब इस देश को सम्बोधित करने के लिए आखिर इस नाम का चुनाव क्यों किया गया है ? इतिहास की मानें तो ऐसा कहा जाता है कि जापान को यह नाम चीन ने दिया था। प्राचीन चीनी मान्यता के अनुसार जापान वहां स्थित था जहाँ से चीनी लोगों को सूर्योदय दिखता था।   परन्तु यदि हम भौगोलिक दृष्टिकोण से निप्पॉन के नामकरण की चर्चा करें, तो हम पाएंगे कि इस नाम की सटीकता में कोई दो राय नहीं है। भूगोल शास्त्र के अनुसार किसी देश की भौगोलिक स्थिति जानने

पेड़-पौधों की दुनिया: अमलतास

पेड़-पौधों की दुनिया अमलतास  सुन्दर पीले फूलों से लदे ये हरे-भरे पेड़ भारत के हर शहर और हर गाँव में दिखते हैं।  कभी उन फूलों का चटक पीला रंग चिलचिलाती धूप में भी मुस्कुराकर हमें भयंकर गर्मी  के मौसम की चेतावनी देता है और कभी उनका कोमल जीवंत रंग हमारी आंखों को सुकून पहुंचाता है। अब आपने अनुमान लगा लिया होगा कि मैं इंडियन लबर्नम के बारे में बात कर रही  हूं। जी हाँ, जिसे हम हिंदी में अमलतास कहते हैं मैं उसी के फूलों की बात कर रही थी।  साल के इस समय पर  जब सर्दियों का मौसम अपना पैर पसार चुका है ऐसे में  अमलतास के बारे में बात करना भले ही थोड़ा अटपटा लगे परन्तु  मैं आज इस पेड़ के बारे में बात करने पर ज़ोर दूंगी क्योंकि मुझे सर्दियाँ रास नहीं आती। ऐसा बिलकुल नही है कि मुझे ग्रीष्मकाल बहुत पसंद है। लेकिन फिर भी मैं सर्दियों की सुबह मन मारकर घर का काम करने की बजाय गर्मियों में पसीना बहाना ज़्यादा पसंद करती हूँ। और कुछ संभव हो न हो पर मैं कम से कम अपने विचारों में ग्रीष्म ऋतू को जीवित रखना चाहती हूँ। चलिए अब मुद्दे पर आते हैं। मैं आपके साथ इंडियन लैबर्नम के बारे में कुछ जानकारी साझा करूँगी जो मैंने

बांग्लादेश की नदियाँ

देश और दुनिया   नदियों का देश : बांग्लादेश    आपको यह जानकर हैरानी होगी कि बांग्लादेश भले ही एक छोटा सा देश है जो केवल 1,48,460 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है परन्तु वहां पर दुनिया की सर्वाधिक नदियां बहती हैं। अर्थात वहां ज़मीन का बहुत सारा हिस्सा नदियों से ढका हुआ है। वैसे तो इस देश में कुल मिलकर कितनी नदियां है इस बात पर विशेषज्ञों में मतभेद है। जैसे, हाल में किये गए सर्वेक्षण के अनुसार कुछ का मानना है कि वहां 310 नदियां बहती हैं। दूसरी ओर अन्य विशेषज्ञों के अनुसार वहां 405 नदियां बहती हैं। यदि इतिहास को टटोला जाये तो वहां पर 700 से अधिक नदियों के बहने का उल्लेख किया गया है। नदियों की कुल संख्या को लेकर जो एक और बात गौर करने वाली है वह यह कि कहीं पर एक ही नदी के अलग-अलग जगह पर अलग-अलग नाम हैं और उसकी गिनती अलग-अलग नदी के रूप में ही की गयी है। मतलब कि नदियों की कुल संख्या की सूची में एक ही नदी अलग-अलग नाम से कई बार शामिल हुई है। संख्या चाहे जो भी हो 300, 400 या फिर 700, उस देश के क्षेत्रफ़ल के हिसाब से तो बहुत ज्यादा है। परन्तु दुःख की बात यह है कि बदलते समय के साथ इनमें से कई नदियों