भूगोल शास्त्री - टॉलेमी
(c. 100 CE - c. 170 CE)
टॉलेमी को न केवल एक महान गणितज्ञ और ज्योतिषी के रूप में जाना जाता है बल्कि उन्हें एक भूगोलवेत्ता के रूप में भी माना जाता है। उन्होंने कई ग्रंथ लिखे हैं जिसकी वजह से उन्हें अपने युग के महान दार्शनिक के रूप में स्थापित किया जा सकता है। यहाँ हम उनकी चर्चा एक भूगोलवेत्ता के रूप में करेंगे। वैसे तो उन्होंने कई विषयों में उल्लेखनीय किताबें लिखी हैं परन्तु उनमें से तीन में उन्हें बहुत प्रशंसा और पहचान मिली है और उन तीन में से एक भूगोल विषय पर है। इसे लैटिन भाषा में जियोग्राफिया और कोस्मोग्राफिया के रूप में जाना जाता है। यह पुस्तक दूसरी शताब्दी के रोमन साम्राज्य के भौगोलिक ज्ञान का संकलन है।
भूगोल के क्षेत्र में उनके कुछ योगदान:
- उन्होंने स्थान को नामित करने के लिए निर्देशांक का इस्तेमाल किया और पृथ्वी के भू-गर्भ मॉडल को प्रस्तुत किया।
- उन्होंने भूमध्य रेखा के संदर्भ में ग्लोब पर अक्षांशों के अंकन का उपयोग शुरू किया, जिसका आज तक पालन किया जाता है।
- उन्होंने नक्शे बनाने की तकनीकों का वर्णन किया।
- हालाँकि उन्होंने कहा था कि दुनिया का अस्तित्व या मनुष्य का आवास चीन से आगे भी है, लेकिन वे इस बात को साबित करने के लिए पर्याप्त तथ्य नहीं जुटा पाए। प्रमाण के अभाव से वे अपने लेखन में इसका उल्लेख नहीं कर पाए।
टॉलेमी द्वारा बनाए गए नक्शे सभी विकृतियों के बावजूद भी आधुनिक भूगोलवेत्ताओं के लिए बहुत मददगार साबित हुए हैं। उनके द्वारा किये गए काम से आज के ज़माने में मानचित्र बनाने की विधि को मज़बूती मिली है। उन्होंने स्थलाकृतिक सूची बनाई जिसने कार्टोग्राफी को नींव प्रदान की।
लम्बे समय तक टॉलेमी के बारे में हमे कोई जानकारी नही थी। उनके काम को तब पहचान मिली जब दुनियाभर के विद्वानों ने उनके द्वारा बनाए गए मानचत्रों का इस्तेमाल करना शुरू किया। भले ही दुनिया के बारे में उनके द्वारा दी गयी जानकारी मनुष्य की मौजूदा पहुंच के सामने बौनी लगे परन्तु उनके ज्ञान को हम किसी भी हाल में कम नहीं आंक सकते। इसलिए हम उनका अभिवादन करते हैं।
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