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फ़िनलैंड - क्यों झीलों का देश ?

देश और दुनिया 
फ़िनलैंड- झीलों का देश 

नॉर्वे के बाद एक और यूरोपीय देश की जानकारी आपके सामने प्रस्तुत करने जा रही हूँ। भरोसा रखिये कि 'देश और दुनिया' की इस श्रृंखला में विश्व के लगभग सभी देश जो किसी न किसी प्रकार से दूसरे देशों से भिन्न हैं अथवा अपनी किसी विशेषता की  वजह से अलग पहचान  रखते हैं  उनके बारे में पढ़ने को ज़रूर मिलेगा। परन्तु इसके लिए आपको भी मेरे साथ इस ब्लॉग से जुड़े रहने का वादा  करना होगा ! रहेंगे न? तो आज की चर्चा के लिए जो देश चुना गया है वो है फ़िनलैंड, जो नॉर्वे का पड़ोसी देश है। यहाँ की ख़ास बात है यहाँ पर पायी जाने वाली असंख्य झीलें जिसकी वजह से इसे हज़ार झीलों का देश कहा जाता है। तो आखिर ये झीलों का देश क्यों कहलाता हैं,  चलिए उसके बारे में जान लेते हैं। 

हमारी पृथ्वी अपनी उत्पत्ति से लेकर अब तक कई भौगोलिक प्रक्रियाओं से गुज़र चुकी है जिनमें से एक प्रमुख घटना है हिमयुग। ये वह समय था जब पूरी पृथ्वी का तापमान शून्य से नीचे गिर गया था और सारी पृथ्वी को बर्फ के आवरण ने ढक लिया था।  वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी पर दो बार ऐसा हो चुका है। यदि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अवलोकन करें तो हम पाएंगे कि  हिमयुग का आना एक बहुत जटिल प्रक्रिया है। इसकी व्याख्या मैं यहाँ पर नहीं दूँगी परन्तु फिर भी ये याद रखना ज़रूरी होगा कि हिमयुग सैकड़ों वर्ष तक चलने वाली वायुमंडलीय प्रक्रियाओं का ही परिणाम होता है और ये   प्रक्रियाएं बहुत धीमी गति से चलती हैं। एक बार हिमयुग आ जाये तो उसके प्रभाव हज़ारों वर्षों तक महसूस किये जा  सकते  हैं । वर्तमान में जिस तरह से पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ रहा है ठीक उसी तरह से जब औसत तापमान गिरते-गिरते शून्य से नीचे चला जाये और हज़ारों वर्ष तक ऐसा लगातार होता रहे तो वह समय हिमयुग में परिवर्तित हो जाता है। यहाँ पर हिमयुग की बात लाने का मक़सद ये बताने के लिए था कि आज हम जिस देश के एक विशेष गुण की बात करने जा रहे है उसका संबंध हिमयुग से ही है। 

आज फ़िनलैंड हमें जिस रूप में दिखता है उसका सारा श्रेय उसके भौगोलिक इतिहास से जुड़ा है। तो माना ये जाता है कि पृथ्वी के उन सभी हिस्सों में जो हिमयुग के दौरान बर्फ की मोटी परतों के नीचे दबे थे उनमें कुछ विशेष प्रकार की भौगोलिक संरचनायें देखी जा सकती हैं। यूरोप, एशिया, उत्तरी अमरीका के वो देश जो उत्तरी ध्रुव के समीप स्थित हैं वे सभी देश हिमयुग के परिणामस्वरूप बनने वाली कई भौतिक संरचनाओं के लिए जाने जाते हैं। इन संरचनाओं का निर्माण बर्फ के पिघलने के फलस्वरुप होता है। ये क्रियाएं पूरी तरह से प्रकृति द्वारा संचालित  होती हैं। जब बड़े बड़े हिमखंड गुरुत्वाकर्षण की वजह से अपनी जगह से नीचे की ओर खिसकते हैं तब वे अपने नीचे स्थित भूमि को काटने, छीलने, घिसने और समतल बनाने का काम करते हैं। ऐसा करते हुए वे झील, सर्क, हॉर्न, U आकार की घाटी आदि कुछ विशिष्ट प्रकार की भू आकृतियां बनाते हैं जो हम बर्फ के  पिघल जाने के बाद देख पाते हैं। इस परिस्थिति के परिणामस्वरूप यहाँ अगाध मात्रा में हिमनद कटाव से बनने वाली कई भू-आकृतियां देखी जा सकती हैं। फ़िनलैंड भी ऐसा ही एक देश है जो अपनी भौगोलिक परिस्थिति की वजह से हिमयुग के समाप्त होने के बाद बनी भू-आकृतियों के लिए जाना जाता है। इन भू आकृतियों में से  प्रमुख तौर पर दिखने वाली आकृति है यहाँ की झीलें। 

फ़िनलैंड में कुल मिलकर लगभग 180,000 झीलें और 179,000 द्वीप हैं।  साइमा सबसे बड़ी झील है जो पूरे यूरोप में चौथी सबसे बड़ी झील है। सर्वाधिक झीलों से भरे इलाके को फ़िनिश लेकलैंड कहा जाता है। यहाँ पर कई प्रमुख शहर झीलों के किनारे बसे हैं। सर्वाधिक द्वीपों का समूह इस देश के दक्षिण-पश्चिम  भाग में देखा जा सकता है। फ़िनलैंड की भूगोलीय संरचना का सारा श्रेय हिमयुग को दिया जाता है। उत्तरी ध्रुव के समीप होने की वजह से यहाँ पर हिमयुग का प्रभाव काफी लंबे समय तक रहा और इसकी वजह से हिम के पिघलने का औसत दर बहुत धीमा रहा। फलस्वरूप, धीरे-धीरे होने वाले हिमस्खलन ने इस प्रदेश को न केवल समतल बनाया बल्कि यहाँ  की औसत ऊंचाई को भी कम कर दिया। यहाँ पर पाई जाने वाली सबसे ऊँची पहाड़ी की ऊंचाई भी मात्र १३२४ मीटर है।  इस देश का लगभग १० % हिस्सा नदियों, झीलों और तालाबों से ढका है और ८० % हिस्सा जंगलों से ढका है।  इससे हम यहाँ के नैसर्गिक सौंदर्य का बखूबी अनुमान लगा सकते हैं। और जहाँ इतनी कुदरती खूबसूरती हो वहां के लोगों का प्रसन्नचित्त रहना भी स्वाभाविक है ! तो मुझे ऐसा लगता है कि फ़िनलैंड का विश्व में खुशहाली सूचकांक में पहले पायदान पर होना एक सामान्य बात है क्यूंकि वहां की स्वच्छ हवा, स्वच्छ पानी और स्वच्छ वातावरण इस देश के नागरिकों को एक स्वच्छ दिमाग और तंदुरुस्त शरीर प्रदान करने के लिए अनुकूल परिस्थिति प्रदान करते हैं। आगे भी हम यही उम्मीद करेंगे कि ये देश अपनी सुंदरता  को ऐसे ही बनाये रखे और खुशहाल भविष्य की ओर अग्रसर रहे। 

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