देश और दुनिया
फिलीपीन्स- द पर्ल ऑफ़ द ओरिएंट सी यानि पूर्वी समुद्र का मोती
फिलीपीन्स- द पर्ल ऑफ़ द ओरिएंट सी यानि पूर्वी समुद्र का मोती
विश्व के कई देश द्वीपों के समूह से बने हुए हैं। छोटे छोटे द्वीपों के संकलन से बने ये देश भले ही क्षेत्र फल में ज़्यादा नहीं हैं परन्तु इनकी आर्थिक विकास की दर बड़े बड़े देशों से भी कहीं आगे है। कितनी हैरान कर देने वाली बात है ये परन्तु सच है! उदाहरण के तौर पर जब हम जापान, इंडोनेशिया, सिंगापुर, मलेशिया आदि कई एशियाई देशों के आर्थिक विकास की दर को इनसे कई गुना बड़े देश जैसे पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल से तुलना करके देखते हैं तो हम यह अंतर साफ़ तौर पर देख सकते हैं। यह इस बात को सिद्ध करता है कि किसी देश का प्रगतिशील होना इस बात पर निर्भर नहीं करता कि वह आकार में कितना बड़ा है अपितु इस पर निर्भर करता है कि वहां के नागरिकों ने अपने देश के संसाधनों को किस तरह से अपने और अपने देश की उन्नत्ति के लिए सटीक ढंग से इस्तेमाल किया है। आज मैं देश और दुनिया में एक ऐसे देश के बारे में बताने जा रही हूँ जो छोटा होने के बावजूद भी उन्नत देशों की श्रेणी में आता है। परन्तु मैं उसकी आर्थिक दशा अथवा उससे जुड़ी बात पर टिप्पणी नहीं करूंगी। मैं बात करूंगी फिलीपीन्स की और हम यहाँ ये जानने का प्रयास करेंगे कि आखिर फिलीपीन्स को द पर्ल ऑफ़ द ओरिएंट सी क्यों कहते हैं ? इसका हिंदी अनुवाद मैंने इस तरह से किया है- पूर्वी समुद्र का मोती, फिलीपीन्स!
फिलीपीन्स को पूर्वी समुद्र का मोती कहे जाने के पीछे कई तर्क दिए गए हैं। मैं उनमें से कुछ प्रचलित युक्तियाँ यहाँ प्रस्तुत करूंगी। फिलीपीन्स कई द्वीपों के समूह से मिलकर बना हुआ देश है जो प्रशांत महासागर के पश्चिमी हिस्से में स्थित है। इसमें लगभग ७६४० द्वीप हैं। यहाँ जान लीजिये कि कोई भी स्थलीय भाग जो उष्ण कटिबंध में स्थित हो चाहे वह द्वीप हो, प्रायद्वीप हो या फिर वहां लम्बा समुद्री तट हो, वहां पर शैवाल और सीपी-मोती के पनपने की संभावना बहुत अधिक रहती है। उष्ण और स्वच्छ खारा समुद्री जल शैवाल और मोतियों के लिए बहुत बढ़िया होता है। फिलीपीन्स की अक्षांशीय स्थिति १२ डिग्री उत्तर में है जो उष्ण कटिबंध के समीप स्थित है। यह जगह भौगोलिक परिस्थिति के हिसाब से सीपियों के पनपने की अनुकूल जगह है। इस बात के तहत यहाँ सीपियों का बहुतायत से पनपना एक आम बात है। यह न केवल प्राकृतिक तौर पर होता है बल्कि यहाँ के लोग कृत्रिम पद्धति से भी सीपी- मोतियों की खेती करते हैं। यहाँ रहने वाले लोगों का एक प्रमुख व्यवसाय इन्ही चीज़ों के कारोबार से जुड़ा हुआ है। इस आधार पर इसे मोती कहा जाना सर्वथा उचित लगता है।
यहाँ कभी स्पेन का आधिपत्य था। इस वजह से यहाँ रहने वाले स्पेनिश लोगों ने अपनी समझ के हिसाब से भी इसको नाम दिया। सबसे पहले इसको ये नाम, द पर्ल ऑफ़ द ओरिएंट सी, स्पेनिश पादरी जुआन जे देलगादो द्वारा दिया गया था। फिर स्पेनिश कवि जोस रिज़ेल ने भी अपनी कविता में इस देश को इस नाम से सम्बोधित किया था। उपग्रहों से खींचे चित्रों में फिलीपीन्स प्रशांत महासागर में बिखरे मोतियों जैसा दिखता है। इसलिए भी इसे पूर्वी समुद्र का मोती कहना ग़लत नहीं होगा। माना जाता है कि विश्व का सबसे बड़ा प्राकृतिक मोती (नेचुरल पर्ल) फिलीपीन्स में मिला है जिसका वज़न लगभग ३४ किलो है। इसके अलावा यहाँ की राजधानी मनिला शहर को उसके सुन्दर नैसर्गिक रूप और आर्थिक समृद्धि की वजह से बेशकीमती मोती के रूप में ही जाना जाता है।
फिलीपीन्स का इतिहास भी काफी रोचक और गौरवशाली है जिसमें हमारे भारत देश की तरह स्वतंत्रता आंदोलन की ढेरों कहानियां छिपी हैं। इन संघर्षों में इस देश के कई अनमोल मोती रुपी क्रांतिकारियों का बलिदान सम्मिलित है। मेरे हिसाब से, ये कारण भी इस देश को पूर्वी समुद्र का अनमोल मोती बनाने के लिए कम ज़रूरी तो नहीं है ? अभी भी यहाँ के लोग अपने देश के प्रति कर्तव्यनिष्ठ, गौरान्वित और उसे बुलंदियों पर पहुँचाने के लिए कार्यरत हैं। अर्थात वहां के लोग भी अनमोल रत्न हैं। यहाँ के द्वीप, झीलें, जंगल, समुद्री तट, ज्वालामुखी, लहरों के कटाव से बनी स्थलाकृतियाँ सभी मिलकर इस देश को मंत्रमुग्ध करने वाला सौंदर्य प्रदान करते हैं जिससे इसकी तुलना एक ख़ूबसूरत मोती से करना किसी मायने में अतिश्योक्ति नहीं है ! फिलीपीन्स को द पर्ल ऑफ़ द ओरिएंट सी नाम देने की सार्थकता को प्रमाणित करने की ये थी मेरी एक छोटी सी कोशिश। इस बारे में आप भी अपनी टिप्पणी दे सकते हैं। ऐसी हर बात का स्वागत है जो ज्ञानवर्धन में सहायक हो। मेरे विचारों को पढ़ने के लिए आपका बहुत धन्यवाद !
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