कितनी अद्भुत बात है कि हमारी पृथ्वी पर जहाँ लगभग हर जगह दिन और रात का होना प्रतिदिन की प्रक्रिया है वहीं पृथ्वी के ही किसी एक भाग में कुछ ऐसे देशों का समूह है जहाँ साल के आधे समय में केवल दिन और आधे समय में केवल रात रहती है। ज़रा सोच कर देखिये कैसे वहां रहने वाले लोग दिन में ही रात की तरह सो जाते हैं और रात में काम के लिए निकलते हैं! कैसे उन्होंने अपनी दिनचर्या को प्रकृति के हिसाब से ढाला हुआ है जो इस बात का संकेत देती है कि मनुष्य किसी भी परिस्थिति के अनुसार ढल सकता है। इसे भूगोल की भाषा में मानव का प्रकृतिकरण कहते हैं। चलिए आज हम एक ऐसे देश के बारे में जानने का प्रयास करते हैं जहाँ हमारे देश की तरह हर रोज़ दिन-रात नहीं होते। जी हाँ, नॉर्वे एक ऐसा ही देश है! आज मैं नॉर्वे के बारे में चर्चा करूंगी जिसे हम अंग्रेज़ी में 'लैंड ऑफ़ द मिडनाइट सन' कहते हैं। आखिर उसे ऐसा क्यों कहते हैं ? चलिए जानते हैं ....
हम इसको भूगोल की दृष्टि से समझने का प्रयास करेंगे। यहाँ हमें दो बातें याद रखनी हैं - पहली बात है पृथ्वी का अक्षीय झुकाव और दूसरी बात है पृथ्वी की गति। पृथ्वी के अक्षीय झुकाव की वजह से दोनों ध्रुव एक साथ एक ही लम्बाई के दिन और रात नहीं देख पाते। ऐसा इसलिए होता है क्यूंकि जब पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है और उसका उत्तरी ध्रुव सूर्य की तरफ झुका होता है तब उसी वक्त दक्षिणी ध्रुव सूर्य की रौशनी से विपरीत दिशा में होता है। और जब दक्षिणी ध्रुव सूर्य की तरफ होता है तो उत्तरी ध्रुव विपरीत दिशा में होता है। इस वजह से दोनों ध्रुवों पर दिन और रात पृथ्वी की बाक़ी जगहों की तरह नहीं होते। इस परिस्थिति की अवधि छह-छह महीनों की होती है जिसके अंतर्गत कभी उत्तरी ध्रुव में छह महीनों तक दिन जैसा उजाला रहता है तो कभी दक्षिणी ध्रुव में छह महीनों तक दिन जैसा उजाला रहता है। नॉर्वे पृथ्वी की एक ऐसी ही जगह पर स्थित है। नॉर्वे उत्तरी गोलार्ध में उत्तरी ध्रुव के निकट स्थित है। यह देश ६०.४७ डिग्री उत्तर में है। तो हमने जाना कि इसकी भौगोलिक स्थिति की वजह से वहां मध्य रात्रि में भी आकाश में सूरज दिखता है और सूर्यास्त कभी होता ही नहीं है। एक और बात जो इसकी भौगोलिक स्थिति की वजह से ध्यान देने योग्य है वह है इसकी जलवायु। भले ही यहाँ छह महीने का दिन हो और उस समय वहां ग्रीष्म ऋतु हो परन्तु फिर भी वहां का तापमान कभी भी २० डिग्री सेल्सियस से ऊपर नहीं जाता। तो आप स्वयं अनुमान लगा सकते हैं कि जब वहां छह महीने की रात का समय रहता है और जाड़े का मौसम रहता है तब कितनी ठण्ड होती होगी! यह बात मैंने इसलिए उठाई क्यूंकि यह एक आम धारणा है बहुत अधिक ठण्ड और बहुत अधिक गर्मी में मनुष्य की कार्यक्षमता पर असर पड़ता है। मनुष्य बहुत अधिक गर्मी और सर्दी दोनों परिस्थिति में अपनी क्षमता से आधा ही काम कर पाता है। तो इस हिसाब से जब हम नॉर्वे में रहने वालों लोगों की कार्यक्षमता का आंकलन करें तो उन्हें बहुत ज्यादा कर्मठ नहीं होना चाहिए, है न? परन्तु दोस्तों हैरानी की बात है कि ऐसा नहीं है !! वहां के लोग बहुत कर्मठ और कार्यकुशल हैं। उनके इस गुण का परिचय हमें इस बात से मिलता है कि उनका देश विश्वभर में सकल घरेलु उत्पाद (GDP) में छठे पायदान पर है। यह देश दुनिया का दूसरा सबसे समृद्ध और वैभवशाली देश है। यह देश मानव विकास सूचकांक (HDI) में भी कई वर्षों से पहले स्थान पर बना हुआ है।
तो दार्शनिक दृष्टिकोण से हम कह सकते हैं कि नॉर्वे दुनिया का वह संपन्न देश है जहाँ प्रगति का सूरज कभी नहीं ढलता। लोगों ने अपनी मेहनत और काबिलियत से इस देश के नाम को चरितार्थ कर दिया है। यह देश समग्र विश्व के सामने इस बात का बेहतरीन मिसाल पेश करता है कि प्रकृति का सही ज्ञान अर्जित कर और उससे समझौता कर मनुष्य क्या नहीं कर सकता! इसे कहते हैं सही मायने में प्रकृति का मानवीकरण जो कि आज के समय की सबसे बड़ी मांग है। आपका क्या कहना है ?
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जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंap bhut hi acha likhti hain susmita ji 😇🙂
जवाब देंहटाएंAlokJiKaBlog
Dhanyawaad !
हटाएंGreat article
जवाब देंहटाएंThank you for taking out time to read.
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